
इसी जमीन से कृषि कार्य कर घर का गुजर बसर चलता है . फरियादी का आरोप है की मनोरा तहसील अंतर्गत उनकी 24 एकड़ 88 डिसमिल पुस्तैनी जमीन को खरीदी कर ली गई है जिसकी जानकारी हमें नहीं है .बहरहाल पिडित परिवार कलेक्टर से गुहार लगा कर जमीन वापस कराने की मांग किया है . अब देखना होगा कि न्याय की तलाश में भटक रहे राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों को न्याय मिल पाता है या इनका ये मामला ठंडे बस्ते में बंद हो जाएगी .

संविधान की पांचवी अनुसूची में जशपुर जिला शामिल है : राम प्रकाश पांडेय
वही इस मामले में जिले के क़ानूनी सलाहकार राम प्रकाश पाण्डेय का कहना है कि धारा (170 ख) सभी पर लागू होता है, संविधान की पांचवी अनुसूची में जशपुर जिला शामिल है यहाँ अनुसूचित जनजति कृषि भूमि के क्रय- विक्रय पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा हुआ है अगर कोई आदिवासी किसी आदिवासी से जमीन खरीदता है तो सक्षम अधिकारी के परमिशन लेना जरुरी होता है, यहाँ यह भी देखना पड़ता है की जो जमीन बेच रहा है उसके पास खेती करने के लिए और जमीन है की नहीं.दूसरा पहलु यह है की कोई भी शासकीय कर्मचारी कोई सम्पति अर्जित करता है तो इसका परमिशन अपने उच्य अधिकारियो से लेना पड़ता है

मामले की जांच कर कार्यवाही की जाएगी : कलेक्टर
वही इस पूरे मामले में जशपुर कलेक्टर महादेव कावरे ने बतया की जमीन खरीदी बिक्री को लेकर पहाड़ी कोरवाओं से एक शिकायत मिली है, जाँच कर मामले में कार्यवाही की जाएगी
बदनाम करने की साजिश : अमरजीत भगत मंत्री छत्तीसगढ़ शासन
वही प्रदेश के खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने अपने बेटे पर लगे आरोपी को निराधार बताया है उन्होंने इस मामले को विपक्ष के ओर से बदनाम करने की साजिश बताते हुए कहा है की भारत के कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति कही भी जमीन खरीद बेच सकता है